CONNECTING THE DOTS : BIAS AGAINST WOMEN #5

BIAS AGAINST WOMEN

Bias against women

Some facts

  • Social
  1. Census 2011 – rate of divorce of Muslim women is highest among all religious communities due to arbitrary triple-talaq.
  2. Around 30 % women married under the age of 18 years.
  • Economic
  1. Female work force participation rate is mere 29% as compare to 80% of Men. One of the lowest in the world.
  2. Women ownership is still 4% of the property.
  • Security (NCRB DATA)
  1. Crime against women: Domestic violence (cruelty by husbands and relatives) has the highest share in crime against women.
  2. Rapes – one in 100 victims is under 6 years of age
  • Political
  1. Women representation in the 16th Lok Sabha is mere 12.15%.
  2. ‘Sarpanch Pati’ culture.
  • STATUS OF WOMEN

As per the Census, 2011 the child sex ratio (0-6 years) has shown a decline from 927 females per thousand males in 2001 to 919 females per thousand males in 2011.

  1. Poor health status of women.
  • Iron-deficiency anemia in India is rampant among children below the age of three (78.9 percent) and women (55 percent)(NFHS).
  • As per Lancet report women in India are most vulnerable to breast cancer.
  • The MMR rate is still high with about five women die every hour in India from complications developed during childbirth.

2. Poor Education status

  • The rate is 65 % according to census 2011 while 82.14% for men.
  • The GER (Gross enrollment ratio) gap for higher education is still very high.
  • As per ASER, though the enrollment gap at primary school level has significantly decrease but the dropout rate for girls is still high.

 

3. Employment status

  • Majority of women are engaged in unorganized sector.
  • Women get paid less for their work as compare to men.
  • Feminization of agriculture

 

  • BIAS AGAINST WOMEN
  1. Legal
  • Personal laws biased against women eg triple talaq
  • State laws like age of women to marry is 18 yrs, less than men.
  • Marital rape not recognized.
  1. Gender violence
  • Female feticide at the time of birth.
  • Neglect of health and education while growing up.
  • Rape, stalking, voyeurism, acid attack.
    • Dowry harassment
    • Domestic violence (top in the list of violence according to NCRB data)
  1. Gender stereotyping
  • Objectification of women body by the media.
  • The glass ceiling e.g. Corporate are not complying with the rule of one independent women director according to Companies act. The belief that women cannot be good managers as they are too emotional.
  1. Religion
  • Religious text mis-interpreted and favors the male counterpart e.g. Women not allowed burning the pyre of parents. It sanctifies the inferior position of women.
  • At many place women not allowed to enter holy places egs. Sabarimala temple.

 

  • STEPS TAKEN BY GOVERNMENT
  1. Economic
  • Maternity leave increased from 12 to 26 weeks through Maternity Benefit Amendment Law to increase female work force participation rate.
  • Gender Budgeting : Mainstreaming of women agenda while allocating funds to different programmes through budget .
  • Steps for Economic empowerment of women like Promotion of SHGs (Aajivika), STEP ( for skilling of women ), MUDRA ( to provide easy loans to Women ) , Stand up India ( to promote Entrepreneur ship among women ).
  • Reservation in govt. jobs by various state govts.

2. Political/Legal

  • Reservation of seats in the PRI and ULB.
  • Criminal Amendment Act 2013 (Justice Verma committee)
  • Pam Rajput committee on status of women

3. Social

  • Beti bachao, beti padao; selfie with daughter etc. to help bringing change in the attitude of people towards girl child
  • Sukanya Samriddhi Yojana encouraging people to save for the girl child.

 

  • WAY FORWARD
  1. Promoting Education and awareness among women about their rights. If they take up their issue, it would create deeper impact. e.g. Women took up the cause against Singnapur Shani temple and Hazi Ali Dargah entry ban.
  2. Change that comes from within the society is widely accepted. Hence, notion of gender equality should be promoted using COMMUNITY LEADERS and RELIGIOUS TEXTS.
  3. Upward Economic mobility of women: Economic empowerment leads to social empowerment and reduce economic dependence.
  4. Women Reservation bill that aims to reserve 33% of all seats in the Lower house of Parliament of India, the Lok Sabha, and in all state legislative assemblies for women should be passed.
  5. Gender sensitization training at every level of state apparatus, specially at lower level officials in police.

 

CONCLUSION

Though we have made gradual progress in improving the status of women through successful steps like SHG, improvement in education levels of women and progressive legislations, still a lot needs to be done to bring equality and justice to women.

Social change is gradual phenomenon. Reforms cannot be enforced by government and courts overnight if the society is not ready to accept them. They have to be nurtured through patient persuasion, enlightened leadership and personal examples.

FOOD FOR THOUGHT

 

Is patriarchy a universal phenomenon and upto what extent it is responsible for inferior position of women?


विषय:  महिलाओं के विरुद्ध पक्षपात

कुछ तथ्य(आंकड़े)

 

सामाजिक

  1. जनगणना 2011 – मनमाने तीन तलाक के कारण मुस्लिम महिलाओं में तलाक की दर सभी धार्मिक समूहों में सबसे अधिक है |
  2. लगभग ३०% महिलाऐं 18 वर्ष की उम्र के पहले ही विवाहित हो जाति हैं |

आर्थिक

  1. महिला कार्य बल सहभागिता दर मात्र 29% है वहीँ पुरुषों में यह दर ८०% है | भारत में महिलाओं के लिए यह दर विश्व में निम्नतम में से है |
  2. संपत्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी मात्र ४% ही है |

 

सुरक्षा (NCRB आंकड़े )

 

  1. महिलाओं के विरुद्ध अपराध : महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में घरेलू हिंसा (पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता ) का योगदान सबसे अधिक है |
  2. बलात्कार: लगभग १% पीड़ितों की उम्र ६ साल से कम है |

राजनीतिक

  1. 16वी लोक सभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व मात्र १२.१५% है |
  2. “सरपंच पति” संस्कृति

 

महिलाओं की स्थिति

A) जनगणना २०११ के अनुसार शिशु लैंगिक अनुपात(0-६ वर्ष) में २००१ की तुलना में गिरावट दर्ज की गयी है(२००१ में १००० पुरुषों पर ९२७ महिलाओं से २०११ में १००० पुरुषों पर ९१९ महिलाओं तक ) |

 

B) महिलाओं का दयनीय स्वास्थ्य

 

  • लौह तत्व की कमी से होने वाला एनीमिया भारत के ३ वर्ष से कम उम्र के बच्चों में(७८.९ प्रतिशत में) और महिलाओं में(५५ प्रतिशत में ) व्यापक रूप से पाया गया |
  • लांसेट पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार भारत की महिलाओं में स्तन कैंसर की सबसे अधिक सम्भावना है |
  • भारत में मातृ मृत्यु दर अभी भी बहुत अधिक है| हर घंटे 5 महिलाऐं प्रसव सम्बन्धी जटिलताओं के कारण काल के गाल में समा जाती हैं |

C) शिक्षा की ख़राब स्थिति

  • २०११ की जनगणना के अनुसार जहाँ पुरुषों में साक्षरता दर ८२.14% है वहीं महिलाओं में यह ६५% ही है |
  • उच्च शिक्षा के लिए GER (Gross enrollment ratio)/सकल नामांकन अनुपात का अंतर(पुरुषों और महिलाओं में) अभी भी बहुत अधिक है |
  • ASER के अनुसार प्राथमिक विद्यालय स्तर पर नामांकन अनुपात में अंतर काफी कम हुआ है लेकिन लड़कियों के पढाई छोड़ने की दर काफी अधिक है |

 

D)रोजगार की स्थिति

  • अधिकतर महिलाऐं असंगठित क्षेत्र में कार्य करती हैं |
  • महिलाओं को समान कार्य हेतु पुरुषों से कम मजदूरी मिलती है |
  • कृषि का स्त्रीकरण

 

महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव

 

क़ानूनी

  • व्यक्तिगत कानून महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव करते हैं | उदाहरण : तीन तलाक
  • राजकीय कानून| जैसे महिलाओं की विवाह की न्यूनतम आयु 18 साल है जो कि पुरुषों से कम है |
  • वैवाहिक बलात्कार को बलात्कार नहीं माना जाता |

लैंगिक हिंसा

  • पैदा होने से पहले ही कन्या भ्रूण हत्या
  • बढ़ती आयु में शिक्षा और स्वास्थ्य की अनदेखी |
    • बलात्कार, छेड़खानी, तेज़ाब से हमले आदि |
    • दहेज़ उत्पीडन |
    • घरेलू हिंसा(NCRB के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के विरुद्ध हिंसा में सबसे ऊपर)

 

लैंगिक रुढ़िबद्धता

    • मीडिया द्वारा स्त्रियों के शरीर का बाजारीकरण |
    • अदृश्य काँच की छत | उदाहरण : कंपनी अधिनियम में कम से कम एक स्वतंत्र महिला डायरेक्टर की अनिवार्य व्यवस्था दी गयी है लेकिन कॉर्पोरेट इसका पालन नहीं कर रहे हैं | एक मिथ्या विश्वास है कि भावुक होने के कारण महिलाऐं अच्छी प्रबंधक नहीं हो सकती |

 

धर्म

  • धार्मिक ग्रंथों की गलत व्याख्या हमेशा पुरुषों के पक्ष में होती है | उदाहरण: महिलाओं को माता-पिता को मुखाग्नि देने का अधिकार न होना | यह महिलाओं की हीन दशा को पोषित करता है |
  • कई जगहों पर महिलाओं को पवित्र स्थलों पर जाने की अनुमति नहीं है | उदाहरण: सबरीमाला मंदिर |

 

  • सरकार द्वारा उठाये गए कदम

 

आर्थिक

 

  • महिला कार्यबल सहभागिता दर बढ़ाने के लिए मातृत्व लाभ संशोधन कानून द्वारा मातृत्व अवकाश को १२ हफ़्तों से बढाकर २६ हफ्ते किया गया है |
  • लैंगिक बजट: विभिन्न कार्यक्रमों के लिए बजट आवंटन के समय महिलाओं के मुद्दों को प्राथमिकता |
  • महिलाओं के आर्थिक विकास हेतु कदम | जैसे: स्वसहायता समूहों को प्रोत्साहन(आजीविका ), STEP ( महिलाओं के कौशल विकास हेतु ), MUDRA ( महिलाओं को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने हेतु) , Stand up India (महिलाओं में उद्यमशीलता विकसित करने हेतु ).

 

  • विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सरकारी नौकरियों में आरक्षण

 

राजनीतिक/विधिक

  • पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों में आरक्षण
  • आपराधिक कानून(संशोधन) अधिनियम, २०१३(न्यायमूर्ति वर्मा समिति)
  • महिलाओं की स्थिति पर पैम राजपूत समिति

 

सामाजिक

    • बेटी बचाओ, बेटी पढाओ ; selfie with daughter आदि से लोगों के लड़कियों के प्रति रवैया बदलेगा |
    • सुकन्या समृद्धि योजना से लोगों को कन्या के लिए बचत करने को प्रोत्साहन मिलेगा |

 

भविष्य पथ

 

  1. महिलाओं के बीच उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता लाना | अगर वे अपने मुद्दे खुद उठाएंगी तो उसका असर अधिक गहरा होगा | उदाहरण: महिलाओं द्वारा सिंगनापुर शनि मंदिर और हाजी अली दरगाह में भेदभाव के खिलाफ सफल आन्दोलन |
  2. समाज को अपने अन्दर से आने वाला बदलाव अधिक ग्राह्य होता है | अतः सामाजिक व्यक्तियों और धार्मिक ग्रंथों के द्वारा लैंगिक समता का विचार आगे बढ़ाना चाहिए |
  3. महिलाओं की आर्थिक सम्पन्नता: आर्थिक सम्पन्नता से सामाजिक संबल मिलता है और आर्थिक निर्भरता कम होती है |
  4. महिला आरक्षण बिल, जो कि संसद के निचले सदन और राज्य विधानसभाओं में ३३% सीटों के महिलाओं हेतु आरक्षण का उद्देश्य रखता है, को पारित करना चाहिए |
  5. राज्य के हर स्तर पर, विशेषकर पुलिस के निचले स्तर के अधिकारीयों/कर्मचारियों को, लैंगिक संवेदनशीलता का प्रशिक्षण देना चाहिए |

निष्कर्ष

 

हालांकि हमने विभिन्न क़दमों जैसे कि स्वसहायता समूह, शिक्षा, प्रगतिशील कानूनों आदि के माध्यम से महिलाओं की स्थिति सुधारने में कुछ सफलता प्राप्त की है, फिर भी महिलाओं की समानता और न्याय हेतु बहुत कुछ किया जाना शेष है |

सामाजिक बदलाव एक धीमी प्रक्रिया है | अगर समाज तैयार न हो तो सुधारों को सरकार या न्यायालयों द्वारा थोपा नहीं जा सकता| यह कार्य धैर्यपूर्ण प्रोत्साहन, प्रबुद्ध नेतृत्व और व्यक्तिगत उदाहरण से ही हो सकता है |

 

विचारणीय

 

क्या पित्रसत्तावाद एक सार्वभौम स्थिति है ? किस हद तक यह महिलाओं की हीन स्थिति के लिए जिम्मेदार है ?


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Hemant Bhatt

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