हाल ही में घोषित उत्तराखंड पीसीएस के अंतिम परिणाम में श्री दीपक गोस्वामी ने सहायक नगर आयुक्त के पद पर सूची में(हिंदी माध्यम से ) स्थान प्राप्त किया है | ओरेकल आईएएस टीम ने छात्रों के मार्गदर्शन हेतु उन्हें कुछ प्रश्न भेजे, जिसके उत्तर उन्होंने लिख भेजे हैं और नीचे यथारूप प्रकाशित किये जा रहे हैं|
- नाम: दीपक गोस्वामी
- उम्र: 27 साल
- निवास:लालकुआं, हल्द्वानी
- शिक्षा:-
- 10वीं: – 78.8% , के.एल.डी.ए.वी इंटर कॉलेज, रुड़की( उत्तराखंड बोर्ड) 2008
- 12वीं: – 70.04% , के.एल.डी.ए.वी इंटर कॉलेज, रुड़की( उत्तराखंड बोर्ड) 2010
- स्नातक – 72% , बी.ए ( इतिहास , हिन्दी साहित्य , अंग्रेजी साहित्य) कुमाऊं विश्वविद्यालय
1. अभी आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
काफी अच्छा महसूस हो रहा है । सच बताऊं तो मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि मैं पीसीएस परीक्षा पास कर चुका हूं।
2. आप इस परीक्षा के अलावा किन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं? आपने किस माध्यम में परीक्षा दी?
स्नातक के बाद से ही मैने तय कर लिया था कि मुझे केवल लोअर पीसीएस या अपर पीसीएस ही निकालना है । इनके अलावा मैंने कभी कोई परीक्षा नहीं दी। इससे पहले मुझे उत्तराखंड लोअर पीसीएस में जिला पंचायत कर अधिकारी के पद पर भी सफलता मिल चुकी है।
परीक्षा का मेरा माध्यम हिंदी रहा।
3. आपकी रणनीति क्या रही?
प्रारंभिक परीक्षा के लिए मैंने पहले सिलेबस को समझा और उसके अनुसार प्रामाणिक पुस्तकों से नोट्स तैयार किए । इसके बाद मैंने तैयार नोट्स को अपनी आवाज में मोबाइल फोन में रिकॉर्ड किया ताकि परीक्षा करीब आने पर आसानी से रिवीजन हो सके ।
मुख्य परीक्षा के लिए मैंने पहले सिलेबस के अनुसार संभावित प्रश्नों की सूची तैयार की जिसके लिए मैंने उत्तराखंड पीसीएस तथा दूसरे राज्यों के पिछले प्रश्नपत्रों की सहायता ली। इसके बाद मैंने प्रामाणिक पुस्तकों से उन संभावित प्रश्नों के आदर्श उत्तर तैयार किए तथा परीक्षा से पहले उनका तीन से चार बार रिवीजन किया ।
4. आपने उत्तराखण्ड विषयक भाग को कैसे पूरा किया?
उत्तराखंड स्पेशल को पूरा करने के लिए मैंने विनसर और परीक्षा वाणी पुस्तकों की सहायता ली तथा इनसे नोट्स तैयार किए । इसके अलावा मैंने समाचारपत्रों की वेबसाइट्स से भी सहायता ली।
5. आपने हिंदी भाषा वाले भाग को कैसे पूरा किया?
चुंकि स्नातक से ही हिंदी मेरा पसंदीदा विषय रहा है इसलिए इस परीक्षा में भी मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं आई। यही कारण है कि इसमें मुझे 208/300 मिले हैं जो अब तक का सर्वाधिक स्कोर है। मैंने पृथ्वीनाथ पांडेय की पुस्तक प्रामाणिक सामान्य हिंदी से नोट्स तैयार किए । जो टॉपिक मुझे इसमें नहीं मिले , उन्हें इंटरनेट से खोजकर तैयार किया। इसके अलावा निबंध की तैयारी मैंने परीक्षा मंथन से की तथा उत्तराखंड वाले निबंध विनसर की सहायता से तैयार किए।
6. क्या आपने उत्तर लेखन का अभ्यास किया? आपको कौन सी शैली पसंद है:
ए। पैराग्राफ
ख। बिंदु प्रारूप
मैंने उत्तर लेखन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया । इसके पीछे दो कारण हैं – पहला यह कि मैंने स्नातक (बी.ए) मैं 72% अंक प्राप्त किए थे , इसलिए मुझे विश्वास था कि मुझे उत्तर लेखन कला आती है । दूसरा कारण यह था कि मैं सभी उत्तर बिंदु प्रारूप में लिखता था जहां कंटेंट ज्यादा महत्व रखता है , इसलिए मैंने अपने नोट्स के रिवीजन पर विशेष ध्यान दिया।
7. क्या आपने निबंध लेखन का अभ्यास किया? कोई विशेष फोकस क्षेत्र।
निबंधों की तैयारी के लिए सबसे पहले मैंने सिलेबस में दिए प्रत्येक टॉपिक पर न्यूनतम 5-5 संभावित निबंध तैयार किए । इसके लिए मैने पुस्तकों तथा इंटरनेट की सहायता ली । मैने कभी भी तैयार निबंध को दोबारा लिखकर नहीं देखा किंतु उनका कई – कई बार रिवीजन अवश्य किया । मेरा सौभाग्य रहा कि परीक्षा में सीधे तौर पर वे ही निबंध आए जो मेरे पहले से तैयार थे ।
8 . मुख्य परीक्षा हेतु करेंट अफेयर्स सेक्शन का प्रबंधन कैसे किया?
मुख्य परीक्षा हेतु करेंट अफेयर्स के लिए मैंने onlinetyari एप्लिकेशन , यूट्यूब, afeias वैबसाइट तथा अखबारों के संपादकीय लेखों की सहायता ली।
9 . इस प्रक्रिया में आपको बहुत धैर्य की आवश्यकता है क्योंकि उत्तराखंड में परीक्षा परिणाम देरी से आते हैं। आप छात्रों को क्या सलाह देंगे?
चुंकि उत्तराखंड में परीक्षा प्रक्रिया पूरी होने में अधिक समय लगता है इसलिए अक्सर कई छात्रों की तैयारी की लय बिगड़ जाती है , इस संबंध में मेरी सलाह है कि छात्र धैर्य बनाए रखें तथा अपने लक्ष्य को याद रखते हुए सतत रूप से तैयारी करते रहें ।
10 . यदि आपका चयन नहीं हुआ, तो आपकी करियर बैकअप योजना क्या थी?
मेरी कोई कैरियर बैकअप योजना नहीं थी और यही बात थी जिसने मुझे हमेशा जगाए रखा , क्योंकि जब आपकी कोई बैकअप योजना नहीं होती तो आप ‘करो या मरो’ की स्थिति में होते हैं और तब आप पूरी शक्ति और समर्पण से तैयारी करते हैं ।
11 . पूरी यात्रा में मार्गदर्शन की कितनी भूमिका है?
मार्गदर्शन की इस यात्रा में बहुत बड़ी भूमिका रहती है क्योंकि सही मार्गदर्शन के अभाव इस क्षेत्र में अच्छे अच्छे छात्र सफलता से चूक जाते हैं । सही गाइडेंस के बिना इस क्षेत्र में सफलता की संभावना उतनी ही कम है जितनी अंधेरे में तीर के निशाने पर लगने की।
12 . कई मेहनती उम्मीदवार मेन्स / साक्षात्कार में असफल रहे हैं। वे निराश और उदास महसूस कर रहे हैं- उनके लिए आपका क्या संदेश है?
इस संबंध में मैं कहूंगा कि UKPCS 2012 परीक्षा में मुझे भी असफलता का सामना करना पड़ा था वो भी अंतिम चरण में , लेकिन निराश होने की बजाय मैंने अगली सुबह से ही अपनी कमियां सुधारते हुए दोबारा तैयारी शुरू कर दी , जिसका परिणाम रहा कि मुझे लगातार दो सफलताएं प्राप्त हुई ।
यदि असफलता मिलती है तो कारण खोजकर सुधार का प्रयास करें , यदि आप सही कारण को पकड़कर सुधार लेते हैं तो सफलता आपके कदमों में होगी और आपको भी मेरी तरह यकीन नहीं हो पाएगा कि आपका सपना पूरा हो चुका है ।
धन्यवाद
दीपक गोस्वामी
सहायक नगर आयुक्त
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