Oracle IAS, the best coaching institute for UPSC/IAS/PCS preparation in Dehradun (Uttarakhand), brings to you views on important issues.
देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लगभग 4,700 बांधों का निर्माण हो चुका है। बांधों के निर्माण का मुख्य उद्देश्य लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल और कृषि के लिए पानी उपलब्ध कराना रहा है। हाल ही में बांधों से अतिरिक्त जल छोड़े जाने के कारण जिस प्रकार से केरल में तबाही मची, उसने बांधों के विध्वंसकारी रूप पर जल्द से जल्द विचार करने को मजबूर कर दिया है। केरल की बाढ़ का कारण 20 बांधों से छोड़ा गया अतिरिक्त जल था, जो ऊँचाई से एक ही समय में भारी मात्रा में गिरकर तबाही मचाता गया। अकेले इडुकी बांध से छोड़े पानी ने पेरियार नदी को सात लाख लीटर प्रति सेकंड की दर से भरना शुरू कर दिया था।
>आज के भू विज्ञानी और भूगर्भ जलशास्त्री बांधों को विनाश का कारण मानते हैं। इसका कारण यह भी है कि बांधों का समर्थन कर उनके निर्माण को बढ़ावा देने वाले लोग बांध के निर्माण के निर्णय से पहले आवश्यक भूविज्ञान, जलवायु-परिवर्तन और क्षेत्र में वर्षा की स्थिति को नजरंदाज करते आ रहे हैं।
>बांधों में करोड़ों टन स्वच्छ जल सुरक्षित रहता है। परन्तु इसकी कीमत पर लाखों वन, गांव, खेत डूब जाते हैं। लाखों लोगों की जीविका के साधन खत्म हो जाते हैं। इनके निर्माण के बाद से 40 लाख के लगभग लोग विस्थापित किए जा चुके हैं।
जहाँ तक बाँधों से मिलने वाले पीने के पानी की बात है, इसकी पूर्ति के लिए इतने बड़े ढांचों की कोई आवश्यकता नहीं है। बांधों से पीने के लिए पानी तो बहुत थोड़ी मात्रा में लिया जाता है। 85 प्रतिशत जल का उपयोग कृषि में, मुख्यतः गन्ने जैसी फसल के लिए होता है। बांधों ने अमीर लोगों के स्वार्थ और शहरी जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत से गरीबों को बिना क्षतिपूर्ति या न्यूनतम क्षतिपूर्ति के उजाड़ दिया है।
>भारत में लगभग 100 से ऊपर, ऐसे बांध हैं, जो सौ साल से भी ज्यादा पुराने हैं। 500 से ज्यादा ऐसे बांध हैं, जो 50-100 साल से भी अधिक पुराने हैं। इन बांधों में कई दोष आ चुके हैं, जिनको जल्द से जल्द ठीक करने की जरूरत है।
यह भी कहा जा रहा है कि बांधों से भूकंप का खतरा बढ़ता जा रहा है। पूरे विश्व में बांधों की वजह से आने वाले भूकंप की संख्या 75 रही है, जिनमें से 17 भारत में आए हैं।
प्राकृतिक आपदाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मौसम की चरम स्थितियों से आने वाली आपदाओं की संख्या जो 1970 में 71 थी, वह 21वीं शताब्दी के पहले दशक में ही 350 हो गई है।
भारत को आपात स्थिति की तरह बांधों पर बनाई जा रही नीतियों का भी आकलन करना चाहिए। पानी के संरक्षण, पुर्नचक्रण और पुर्नप्रयोग के लिए विकेन्द्रीकृत उपायों पर विचार किया जाना चाहिए। बांधों की समीक्षा करके, उन बांधों को खत्म किया जाना चाहिए, जो खराब हो चुके हैं। नए बांधों का निर्माण बंद किया जाना चाहिए, और सुरक्षा के उपायों पर पूरा विचार किया जाना चाहिए।
Contact us for:-
- IAS coaching in Dehradun
- UKPCS/UPPCS coaching in Dehradun
- Current Affairs classes in Dehradun
- For getting detailed feedback on your answers and improve answer writing
- Phone Number:– 9997453844
- UPPCS 2023 Mains Paper 2 Solution(PDF) - September 29, 2023
- UPPCS 2023 Mains Paper 1 Solution - September 28, 2023
- UKPSC RO ARO 2023 Prelims Test Series || ORACLE IAS - September 24, 2023